जय महाकाल
जय महाकाल
 
 भस्म आरती : एक अनोखी परंपरा 
 भगवान् महाकाल की विभिन्न पूजाओं तथा आरतियों में भस्म आरती का अपना अलग 
महत्व है. यह अपने तरह की एकमात्र आरती है जो विश्व में सिर्फ महाकालेश्वर 
मंदिर उज्जैन में ही की जाती है. हर शिवभक्त को अपने जीवन में कम से कम एक 
बार भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती में जरुर शामिल होना चाहिए.
 महाकाल
 मंदिर में आयोजित होने वाले विभिन्न दैनिक अनुष्ठानों में दिन का पहला 
अनुष्ठान होता है भस्म आरती जो की भगवान शिव को जगाने, उनका श्रृंगार करने 
तथा उनकी प्रथम आरती करने के लिए किया जाता है, इस आरती के बारे में विशेष 
यह है की यह आरती प्रतिदिन सुबह चार बजे, श्मशान घाट से लायी गयी ताजी चिता
 की राख से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर छिड़काव करके की जाती है. 
सर्वप्रथम सुबह चार बजे भगवान् का जलाभिषेक किया जाता है , तत्पश्चात 
श्रृंगार तथा उसके बाद ज्योतिर्लिंग को चिता भस्म से सराबोर कर दिया जाता 
है. शास्त्रों में चिता भस्म अशुद्ध माना गया है. चिता भस्म का स्पर्श हो 
जाये तो स्नान करना पड़ता है परन्तु भगवान शिव के स्पर्श से भस्म पवित्र 
होता है क्योंकि शिव निष्काम है, उन्हें काम का स्पर्श नहीं है.
 शिवमहिम्नस्तोत्रम के अनुसार:
 चिताभस्मोलेप स्त्रगापी न्रक रोतिपरीक: अमगाल्या शिव तव भवतु नामैवमखिल तथापि स्मर्तना वरद परम मंगल्मसी ।
 
 हालाँकि चिता भस्म की बात कहाँ तक सत्य है कोई नहीं जानता, मंदिर प्रशासन 
का वक्तव्य है की पूर्व में यह आरती ताज़ी चिता की राख से ही होती थी लेकिन
 वर्त्तमान समय में चिता की राख की जगह कंडे की राख का इस्तेमाल होता है. 
जबकि उज्जैन के स्थानीय निवासियों मानना है की आज भी भस्म आरती ताज़ी चिता 
की राख से ही सम्पन्न होती है.
 यह एक रहस्यमयी, अस्वाभाविक तथा सामान्य अनुष्ठान है तथा पुरे विश्व में केवल उज्जैन महाकाल मंदिर में ही किया जाता है.
 भस्म आरती सुबह चार बजे से छः बजे के बिच में की जाती है तथा इसमें शामिल 
होने के लिए एक दिन पूर्व मंदिर प्रशासन को आवेदन पत्र देकर अनुमति पत्र 
हासिल किया जाता है उसके बाद ही आप भस्म आरती में शामिल हो सकते हैं.
 
अनुमति पत्र तभी हासिल किया जा सकता है जब आपके पास अपने फोटो परिचय पत्र 
की मूल प्रति हो. आरती के एक दिन पूर्व अनुमति पत्र प्राप्त करने के बाद 
सुबह 2 से 3 बजे के बिच भस्म आरती की लाइन में लगना होता है तब करीब चार 
बजे भक्त को मंदिर में प्रवेश दिया जाता है. मंदिर में प्रवेश के वक्त एक 
बार फिर फोटो परिचय पत्र दिखाना होता है
 इस आरती में शामिल होने के लिए
 पुरुषों को सिर्फ धोती और महिलाओं को साड़ी में ही प्रवेश दिया जाता है 
अन्यथा अनुमति पत्र स्वतः ही निरस्त हो जाता है.
 
 हर हर महादेव……..
 जय महाकाल
 !!!۞!!! ॐ नम: शिवाय !!!۞!!!
 

 

 
 
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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